जमुनापारी बकरी
जमुनापारी भारत में पायी जाने वाली अन्य नस्लों की बकरियों की तुलना में सबसे अच्छी उँची तथा लम्बी होती है। यह उत्तर प्रदेश के जिला इटावा एवं गंगा, यमुना तथा चम्बल से घिरे क्षेत्र में पायी जाती है। इसके नाक काफी उभरे रहते हैं। जिसे ‘रोमन’ नाक कहते हैं। सींग छोटा एवं चौड़ा होता है। कान 10-12 इंच लम्बा चौड़ा मुड़ा हुआ तथा लटकता रहता है। इसके जाँघ में पीछे की ओर काफी लम्बे घने बाल रहते हैं। इसके शरीर पर सफेद एवं लाल रंग के लम्बे बाल पाये जाते हैं। इसका शरीर बेलनाकार होता है। वयस्क नर का औसत वजन 70-90 किलो ग्राम तथा मादा का वजन 50-60 किलो ग्राम होता है।
इसके बच्चों का जन्म समय औसत वजन 2.5-3.0 किलो ग्राम होता है। इस नस्ल की बकरियाँ अपने गृह क्षेत्र में औसतन 1.5 से 2.0 किलो ग्राम दूध प्रतिदिन देती है।
बीटल बकरी
बीटल नस्ल की बकरियाँ मुख्य रूप से भारत और पाकिस्तान के पंजाब और हरियाणा क्षेत्र की नस्ल है, जिसे अमृतसरी बकरी भी कहा जाता है। हालांकि बीटल की असली नस्ल पंजाब के अमृतसर, गुरदासपुर और फिरोजपुर जिले में पाई जाती है। इसका शरीर भूरे रंग पर सफेद-सफेद धब्बा या काले रंग पर सफेद-सफेद धब्बा लिये होता है। यह देखने में जमनापारी बकरियाँ जैसी लगती है परन्तु ऊँचाई एवं वजन की तुलना में जमुनापारी से छोटी होती है। इसका कान लम्बा, चौड़ा तथा लटकता हुआ होता है। नाक उभरा रहता है। कान की लम्बाई एवं नाक का उभरापन जमुनापारी की तुलना में कम होता है। सींग बाहर एवं पीछे की ओर घुमा रहता है।
इस नस्ल की बकरियाँ औसतन 1.25-2.0 किलो ग्राम दूध प्रतिदिन देती है। इस नस्ल की बकरियाँ सलाना बच्चे पैदा करती है एवं एक बार में करीब 60% बकरियाँ एक ही बच्चा देती है।
बरबरी बकरी
बरबरी बकरी छोटे कद की होती है लेकिन इसका शरीर काफी गठीला होता है। शरीर पर छोटे-छोटे बाल पाये जाते हैं। शरीर पर सफेद रंग के साथ भूरा और सुनहरा रंग का धब्बा पाया जाता है। इसकी नाक बहुत ही छोटी और कान खड़े हुए होते हैं।
यह घर में बांध कर गाय की तरह रखी जा सकती है। इसकी प्रजनन क्षमता भी काफी विकसित है। 2 वर्ष में तीन बार बच्चों को जन्म देती है तथा एक वियान में औसतन 1.5 बच्चों को जन्म देती है। इसका बच्चा करीब 8-10 माह की उम्र में वयस्क होता है। इस नस्ल की बकरियाँ मांस तथा दूध उत्पादन हेतु उपयुक्त है। बकरियाँ औसतन 1.0 किलो ग्राम दूध प्रतिदिन देती है।
ब्लैक बंगाल बकरी
इस जाति की बकरियाँ पश्चिम बंगाल, झारखंड, असोम, उत्तरी उड़ीसा एवं बंगाल में पायी जाती है।। यह मुख्यत: काले रंग की होती है। यह भूरे, सफेद और सलेटी रंग में पायी जाती है, लेकिन काले रंग की नसल सबसे आम है। इस नसल की त्वचा मीट उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है। इस नसल की दूध उत्पादन की क्षमता अत्याधिक कम होती है। नर बकरी का भार 25-30 किलो और मादा बकरी का भार 20-25 किलो होता है। यह नसल प्रौढ़ की अवस्था पर जल्दी पहुंच जाती है और प्रत्येक ब्यांत में 2-3 बच्चों को जन्म देती है।
इस नस्ल की प्रजनन क्षमता काफी अच्छी है। औसतन यह 2 वर्ष में 3 बार बच्चा देती है । कुछ बकरियाँ एक वर्ष में दो बार बच्चे पैदा करती है तथा एक बार में 4-4 बच्चे देती है।
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